पटना, 19 मई 2025 — बिहार के लोकप्रिय यूट्यूबर और भाजपा नेता मनीष कश्यप एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वजह है पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में उन पर हुआ कथित हमला, जिसके बाद सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक हड़कंप मच गया है। इस घटना ने जहां स्वास्थ्य व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं एक व्यंग्यात्मक पोस्ट के ज़रिए पूर्व बिहार डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने पूरे तंत्र पर तीखा कटाक्ष किया है।
घटना का पृष्ठभूमि
मनीष कश्यप, जो कि अपने यूट्यूब चैनल ‘सच तक न्यूज़’ के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए पहचाने जाते हैं, 19 मई 2025 को एक मरीज़ के इलाज के सिलसिले में PMCH पहुँचे। बताया जा रहा है कि वहाँ उनकी एक महिला जूनियर डॉक्टर से तीखी बहस हो गई।
इसके बाद मनीष ने अस्पताल में वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी, जिससे ड्यूटी पर मौजूद जूनियर डॉक्टर नाराज़ हो गए। आरोप है कि कई डॉक्टरों ने उन्हें एक कमरे में तीन घंटे तक बंद करके रखा और इस दौरान उनके साथ शारीरिक मारपीट की गई। मनीष के मोबाइल से कथित वीडियो भी डिलीट कर दिए गए।
📌 मुख्य घटनाक्रम
मरीज़ की पैरवी करने पहुँचे मनीष कश्यप की डॉक्टरों से बहस।
अस्पताल परिसर में वीडियो रिकॉर्डिंग के कारण विवाद बढ़ा।
डॉक्टरों द्वारा कमरे में बंद कर मनीष के साथ मारपीट की गई।
पुलिस ने बीच-बचाव कर मामला सुलझाया, कोई FIR दर्ज नहीं हुई।
घायल अवस्था में मनीष को अस्पताल में भर्ती किया गया; उन्होंने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा कीं।
💬 पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय का व्यंग्यात्मक बयान
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कटाक्ष करते हुए एक लंबी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से प्रशासन और डॉक्टरों पर व्यंग्य किया। उन्होंने लिखा:
“बिहार में मनीष कश्यप नाम के एक पत्रकार हैं। अभी एक डॉक्टर साहेब ने बताया कि पाकिस्तानी सेना के जनरल मौलाना मुनीर से मनीष के निजी संबंध हैं। पाकिस्तान ने भारत सरकार के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का बदला लेने के लिए मनीष को गोला, बारूद, मिसाइल और एटम बम के साथ PMCH पर हमला करने भेजा था। लेकिन सैकड़ों देशभक्त डॉक्टरों ने यह साजिश भांप ली और अपनी जान जोखिम में डालकर मनीष पर हमला कर दिया। उन्होंने मनीष को घायल तो किया, लेकिन चूंकि वे ‘हिंसा में विश्वास नहीं रखते’, इसलिए हत्या नहीं की।”
“अब डॉक्टर एटम बम की तलाश कर रहे हैं, जो मनीष अपने साथ लेकर गए थे। मेरी भारत सरकार से अपील है कि ऐसे राष्ट्रभक्त डॉक्टरों को जीते जी परमवीर चक्र देकर सम्मानित किया जाए। बिहार के इन पराक्रमी डॉक्टरों पर हमें गर्व है।”
यह व्यंग्य स्पष्ट रूप से प्रशासनिक व्यवस्था और मौजूदा स्थिति पर करारा प्रहार है, जहाँ किसी भी विरोधी आवाज को कुचलने की कोशिश की जाती है। गुप्तेश्वर पांडेय ने सवाल उठाया कि एक पत्रकार को केवल आवाज उठाने के लिए आतंकी की तरह पेश करना और बिना जाँच के उसे प्रताड़ित करना लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।
📢 राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनीष कश्यप के समर्थन में PMCH के बाहर प्रदर्शन किया।
सोशल मीडिया पर hash JusticeForManishKashyap ट्रेंड कर रहा है।
कई वरिष्ठ पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने घटना की निष्पक्ष जाँच की माँग की है।
निष्कर्ष
यह घटना सिर्फ एक पत्रकार पर हमला नहीं, बल्कि विरोध की आवाज़ों को दबाने की मानसिकता की बानगी है। गुप्तेश्वर पांडेय जैसे वरिष्ठ अधिकारी द्वारा उठाया गया व्यंग्यपूर्ण सवाल, दरअसल एक गम्भीर चेतावनी है कि अगर लोकतंत्र में सवाल पूछने वालों को ‘आतंकी’ बना दिया जाए, तो फिर संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या अर्थ रह जाएगा?
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